पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि नाबालिग आरोपी को भी अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल करने का अधिकार है। हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिग आरोपियों के लिए विशेष प्रावधान है, केवल इसलिए सेशन कोर्ट से जमानत की मांग का अधिकार नहीं छिनता।
पंजाब के फाजिल्का निवासी एक नाबालिग याची ने हाईकोर्ट में सेशन कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी थी। याची ने बताया कि सेशन जज ने यह कहते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी कि सेशन कोर्ट को नाबालिग की जमानत याचिका सुनने का अधिकार नहीं है।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो सेशन कोर्ट को नाबालिग की अग्रिम जमानत याचिका सुनने से रोके। हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिग आरोपी को भी बालिग की तरह सीआरपीसी के सेक्शन 438 के तहत सेशन कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल करने का अधिकार है।
हाईकोर्ट ने कहा कि सेशन कोर्ट में याचिका दाखिल करने से रोकना सांविधानिक अधिकार का हनन होगा। ऐसे में सेशन जज का फैसला सही नहीं था। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिग आरोपियों की जमानत को लेकर अलग से एक्ट है और विशेष प्रावधान है, केवल इस वजह से उसे सेशन कोर्ट में याचिका दाखिल करने से वंचित नहीं किया जा सकता है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए याची को जमानत दे दी।
दरअसल फाजिल्का में 18 नवंबर, 2020 को हमला करने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें गिरफ्तारी से बचने के लिए नाबालिग याची ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। याची ने कहा कि उसने हमला नहीं किया था। आरोप के अनुसार वह उस दल का सदस्य था जिसने हमला किया था। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने उसे जमानत दे दी।