राजस्थन के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को एक बार फिर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। गहलोत ने दो ट्वीट किए। एक ट्वीट में गहलोत ने कहा कि ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि 10 केंद्रीय मंत्रियों व भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को किसान आंदोलन के खिलाफ उतरना पड़ा, क्योंकि मोदी सरकार ने किसानों और विपक्ष समेत किसी स्टेक होल्डर से संवाद ही नहीं किया। अगर संवाद किया होता तो ऐसी जरूरत नहीं पड़ती। पहले भी देश की जनता ने प्रधानमंत्रियों पर यकीन किया है। उनके बनाए हुए कानूनों का स्वागत किया है। अगर आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की बात सुनकर उनसे संवाद करते तो मामला इतना नहीं बढ़ता।
प्रधानमंत्री को चाहिए कि अब भी सभी से संवाद स्थापित कर उनकी बात सुने और समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। अभी तक वो ऐसा करने में नाकाम रहे। दूसरे ट्वीट में गहलोत ने कहा कि आज कोई भी मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे देश विरोधी करार दे दिया जाता है। सरकार के खिलाफ आवाज उठाना और अपने अधिकार मांगना देशद्राह नहीं है, बल्कि लोकतंत्र में आस्था का प्रतिक है। गहलोत ने कहा कि केंद्र में बैठे अधिकारी कह रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र ज्यादा है, इसलिए रिफॉर्म संभव नहीं है। ये बयान केवल सरकार को खुश करने के लिए है। जिस तरह लोकतंत्र की आड़ में केंद्र सरकार ने सभी संवैधानिक प्रक्रियाओं को ताक में रख कर विभिन्न कानून पास किए हैं, वे गलत हैं। गहलोत ने कहा कि भारत में उदारीकरण और उसके बाद रिफॉर्म मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री व प्रधानमंत्री रहते समय हुए थे। जिनकी बुनियाद पर देश की अर्थव्यवस्था टिकी है। लेकिन तब ना ही लोग सड़कों पर आए और ना हर किसी ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया। गौरतलब है कि गहलोत ने मंगलवार को भी कृषि कानूनों के विरोध में केंद्र सरकार पर निशाना साधा था।